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इसे क्या शीर्षक दूँ / आभा पूर्वे

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वह गुलाब का फूल
अपने अतीत की कहानी
कहता,
दुबका पड़ा है
मेरी किताब के बीच
जैसे पड़ा हो
एक-दूसरे
की दूरी को मिटाता हुआ
मेरा तुम्हारा वह स्पर्श ।