भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इसे हराता है / चंद्र रेखा ढडवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


मुस्कुराती है
कि मुस्कुराते हुए
वह सुंदर लगती है
शर्माती है
कि शर्माते हुए
वह अच्छी दिखती है
यह करने से
ऐसी लगती है
वह करने से
वैसी दिखती है
लगते/दिखते
बस लगना / दिखना ही
भाग्य मानकर
इस ख़ुशबू में नहाई
उस रंग में रंगी
यह चूनर ओढ़े
वह चोली पहने
भाग रही निरन्तर
इस औरत को उतना
आदमी नहीं भटकाता
जितना इसका औरतपन
इसे हराता है.