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इस ओर कभी तुम भी नज़रें तो उठा देखो / रंजना वर्मा
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इस ओर कभी तुम भी नजरें तो उठा देखो।
दुनियाँ है हसीं कितनी आ पास ज़रा देखो॥
तुम आन मिले हमसे इक आस जगमगाई
उम्मीद हुई रौशन अब शम्मा बुझा देखो॥
लगता ये जमाना ही जोगी का हुआ डेरा
तुम यार कभी मेरी दुनियाँ भी बसा देखो॥
ऐंठो न कभी इतना होना हो खड़ा मुश्किल
गिर जाय नहीं कोई तुम हाथ बढ़ा देखो॥
घुलता है जहर अब तो पानी में हवाओं में
हो शुद्ध हवा सारी इक पेड़ लगा देखो॥