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इस कहानी पर विश्वास मत करिए / राग तेलंग

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ऐसा होता तो नहीं है पर ऐसा संभव है
एक जीती-जागती कहानी में

सुनकर आप कहेंगे-अफसोस मगर ऐसा हुआ !
हुआ क्या ऐसा ? जो होता तो नहीं है मगर हुआ ! और
जिसे आइंदा होना नहीं चाहिए

एक मछेरा था
बचपन से मच्छी मारता आ रहा था
बड़ा हुआ तो नदी में जाल फेंकने बाद
नाव में बैठा-बैठा मां के गुनगुनाए गीतों को दोहराता तो
कई रंग-बिरंगी चिड़ियाए़ं़ आकर नाव पर बैठ जातीं
उसके गुनगुनाने में साथ देतीं

रंग-बिरंगी आवाज़ों का संगीत सुनकर
रंग-बिरंगी मछलियां नाव के गिर्द चक्कर लगातीं

युवा मछेरा रंगों से प्यार करना सीख गया
वह रंगों वाली मछलियांे को आज़ाद कर देता
हालांकि ऐसा होना नहीं चाहिए

यूं इस कहानी के रंग-बिरंगे पात्र और हमारा मछुआरा
आपस में दोस्त हो गए
अब अक्सर मछेरा एक ही तरह की मछलियां लेकर लौटता तो
लोगों की सोच में भी न आता कि शिकार के रास्ते में रंगों का होना संभव है

एक दिन एक रंग-बिरंगी सुनहरी मछली मछेरे के करीब आई और
मछुआरे का हाथ थाम लिया
मछुआरे के भीतर रंगों की आवाजें गूंज उठीं
फिर तो उसने सुनहरी मछली का साथ अंत तक निभाया
आखिरी सांस तक उसको बचाया
हालांकि ऐसा होता तो नहीं है

अब मछेरा बस्ती छोड़कर खेतों में काम करने लगा
दूर किसी और देस में

एक दिन खेत में उसे एक रंगीन चिड़िया मिली
बड़ी जानी-पहचानी लगी
उसने पूछा-क्या तुम मुझे पहचानती हो ?
चिड़िया ने कहा-हम आज भी दोस्त हैं
हमारे भीतर एक से रंग हैं
मेरा रंग-मछली का रंग
मछली का रंग-मेरा रंग
कहां है वो रंगीन मछली ?
क्या तुमने उसे पकड़कर कहीं बेच दिया ?
बेच ही दिया होगा
तुम्हारा पेशा भी यही
धर्म भी यही

मछुआरा रुआंसा हो गया
बोला-मैं जानता हूं
हमारी बस्ती के लोगों के जीवन में रंग ठहरते नहीं
मगर मैं रंगों को थामने निकला था उनके लिए
सो मछली का हाथ थाम लिया
और तुम चिड़िया लोगों ने भी तो मेरे भीतर रंग उगाए
अब तुम्हीं बताओ
ऐसा क्या हुआ कि सब बिखर गया ?

चिड़िया के आंसू टपक पड़े
रुंधे स्वर में उसने कहा- बावरे !
हम तो तुम्हारे दोस्त थे फक़त
तुम तो कहां
नदी,मछली और खुद को डुबो बैठे, पानी से दूर
तुम्हारी कहानी से समझ आता है
ऐसा होना नहीं चाहिए
हालांकि ऐसा होता तो नहीं है

अब नाव नहीं थी,
न ही नदी थी
मगर चिड़िया,मछली और मछुआरा मिलकर गुनगुना रहे थे
रंगों से प्यार हो जाने का गीत ।