भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इस क्षण में / अदोनिस
Kavita Kosh से
क्या खोया हमने, क्या हममें खो चुका था?
वो फासले किसके हैं जिसने दूर किया था हमें
और जो अभी हमें जोड़ रहा है?
क्या हम अब भी एक हैं
या हम टुकड़ों में बंट चुके हैं? ये धूल किंतनी भली है
इसकी उपस्थिति, और मेरा होना, अभी इस क्षण में
एक से हैं.