इस गोद में / तुषार धवल
इस गोद में सेज है
तुम्हारी
उड़ानों की उड़नपट्टी है
यहाँ
तुम्हारे नरम सपनों का जंगल है
जिसमें संसार की पगडण्डियाँ
घुसते ही मिट जाती हैं
उस जंगल में
टिमटिमाती कस्तूरी मणियाँ हैं
सुकुमार जल पर फैली महकीली लताएँ हैं
जो अपने ही ढब के फूल ओढ़ी हुई
नाज़ुक-सी ऊँघ में खिल रही हैं
वहाँ हवा में तैरती गुलाबी मछलियों की
किलकारियाँ हैं
पंछियों का गुंजार तुम्हारे हास की
थपक पर थिरकता है
वहाँ
उस जंगल में बस्ती है
मेरी आदिम जातियों की
उनके आग और काँटों के संस्मरण हैं
फूलों की गुलगुली छाती में
तपने और जूझने के
दाँत भींचे एकटक आईने हैं
किचकिची और लिजलिजी पीड़ाएँ हैं
ईमानदारी पर मिली बदनामियों की
ग्लानियों में आत्मदहन के क्षण हैं
मनुष्य होने के संघर्ष में
अनुभवों की थाती है
तुम्हारे उसी वन में मेरा शुद्ध आत्मबोध है
अनगढ़ अशब्द अपरिभाषित
और स्फटिक की चमकती खोह है
चेतस् ऊर्जा का हस्ताक्षर है वहाँ
मेरा तुम्हारा होना
मेरी गोद में तुम हो
और तुममें एक सुकुमार उनींदी
गोद है
जिसमें मेरा होना
हो रहा है !