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इस जहाँ से जो भी कुछ सीखा लिखा हमने / विनोद तिवारी


इस जहाँ से जो भी कुछ सीखा लिखा हमने
लोग कहते हैं बहुत तीखा लिखा हमने

चाटुकारों में नहीं हम हो सके शामिल
सच जहाँ जैसा हमें दीखा लिखा हमने

राजपथ के गीत जब गाते रहे थे लोग
बे-झिझक वक्तव्य पटरी का लिखा हमने

बेबसी को आह का नाटक कहा तुमने
चोट से भगवान फिर चीखा लिखा हमने

मान लेते हैं अभी चिंतन अधूरा है
उम्र भर अधपेट रोटी खा लिखा हमने

व्यक्तिगत सुख या कि दुख की बात क्या करना
जब लिखा है दर्द, बस्ती का, लिखा हमने