भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इस जीवन का भेद / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस जीवन का भेद
जिसे मिल गया गभीर अपार,
रहा न उसको क्लेद
मरण भी बना स्वर्ग का द्वार!
करले आत्म विकास,
खोज पथ, जब तक दीपक हाथ,
मरने बाद, निराश,
छोड़ देगा प्रकाश भी साथ!