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इस जीवन में पाया है सुन्दर मधुर आशीर्वाद / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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इस जीवन में पाया है सुन्दर मधुर आशीर्वाद,
मनुष्य के प्रेम पात्र में उसी की सुधा का पाता हूं मधुर आस्वाद।
दुःसह दुःख के दिनों में
अक्षत अपराजित आत्मा को
लिया है पहचान मैंने।
आसन्न मृत्यु की छाया का जिस दिन किया अनुभव
उस दिन भय के हाथ से नहीं हुआ मेरा दुर्बल पराभव।
महत्तम मनुष्य के स्पर्श से हुआ नहीं वंचित मैं,
उनकी अमृत वाणी आत्मा में की है संचित मैंने।
जीवन विधाता का जो दान मिला मुझे इस जीवन में
उसी की स्मरण लिपि छोड़े जाता हूं कृतज्ञ मन से मैं।
‘उदयन’
28 जनवरी, 1941