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इस तरह क़र्ज़ सारा अदा हो गया / ज्ञान प्रकाश विवेक
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इस तरह क़र्ज़ सारा अदा हो गया
घर जो मेरा था वो आपका हो गया
मेरा चेहरा लगा कर कोई अजनबी
सामने मेरे आके खड़ा हो गया
पेश करते हैम दुख को शगल कि तरह
चैनलों को न जाने ये क्या हो गया
इतनि थोड़ी-सी टिप देख कर दोस्तो
एक वेटर भी मुझसे ख़फ़ा हो गया
कार वाले बड़े आदमी हो गए
इस शहर में यही हादसा हो गया
गाँव वालों की मत पूछ तू बन्दगी
एक बूढ़ा शजर देवता हो गया
दे गया आँसुओं के लिफ़ाफ़े मुझे
दर्द भी दोस्तो डाकिया हो गया !