भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इस दुनिया मै दुःख देखण नै सरवर नीर उतारे / मेहर सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वार्ता- सज्जनों सरवर नीर की इस कहानी को रानी अम्बली भी सुनती है। वह समझ जाती है कि सरवर और नीर हैं। वे दोनों सैनिक ड्यूटी दे कर चले जाते हैं। रानी अम्बली कुछ सामान दरिया में फेंक देती है और बाकी सामान को अस्त व्यस्त कर देती है। जब सौदागर आता है रानी अम्बली कहती है कि जो सैनिक ड्यूटी पर थे शायद वे चोरी कर ले गये आप राजा को इतला करो। रानी अम्बली को यह भी ज्ञान हो चुका था कि इस नगरी का राजा अम्ब है। जब सैनिक दोनों भाई सरवर और नीर को पकड़ कर दरबार की तरफ चलते हैं तो दोनो भाई आपस में क्या कहते हैं सुनिए-

घाल हथकड़ी आगै कर लिए भाग फूटगे म्हारे।
इस दुनिया मैं दुःख देखण नै सरवर नीर उतारे।टेक

म्हारी तै के पोट्टी सै
खुद हरनै घिटी घोट्टी सै
या म्हारी किस्मत खोट्टी सै ढंग दुनिया तै न्यारे।

कोए बणै ना दुखां का साथी
सतगुरु बिना बणै ना हिमाती
भीड़ पड़ी मैं गोती नाती, धोरा धरगे प्यारे।

आ लिया बखत आखीर भाई
फूट गई तकदीर भाई
क्यूं रावै सै नीर भाई, रस्ते बन्द हुए सारे।

कहै मेहर सिंह ज्यान त्यागणी
जणुं लहरे पै मरै नागणी
गुरु लखमीचन्द की सीख रागणी ये ऊत बहुत से गारे।