भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इस दु:ख का मैं क्या करूं / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
ये दु:ख मेरे पास
क्यों बार-बार आता है
इस दु:ख से मेरा क्या रिश्ता है
क्यों मेरे पास
ये बार-बार लौट आता है
मेरी खुशियों की फुंनगियों पर
नागफनी-सा खिल जाता है
इस दु:ख का मैं क्या करूं
इसे चिहुंक कर गले लगा लूं
या इससे डरूं
इसे मौत का अवसाद मानूं
या जीवन का हथियार
क्यों आता है बार-बार
इस दु:ख पर मुझे प्यार
रचनाकाल:1995