इस दौर-ए-बेजुनूँ की कहानी कोई लिखो
जिस्मों को बर्फ़ ख़ून को पानी कोई लिखो
कोई कहो कि हाथ क़लम किस तरह हुए
क्यूँ रुक गई क़लम की रवानी कोई लिखो
क्यों अहल-ए-शौक़ सर-व-गरेबाँ हैं दोस्तो
क्यों ख़ूँ-ब-दिल है अहद-ए-जवानी कोई लिखो
क्यों सुर्मा-दर-गुलू है हर एक तायर-ए-सुख़न
क्यों गुलसिताँ क़फ़स का है सानी कोई लिखो
हाँ ताज़ा सानेहों का करे कौन इंतज़ार
हाँ दिल की वारदात पुरानी कोई लिखो