इस दौर में जीना कोई आसान नहीं है
है कौन वो जो आज परेशान नहीं है
ये जीत कभी हार में तब्दील भी होगी
कोई भी यहाँ वक़्त का सुल्तान नहीं है
उस बात को कहने की मनाही है सदन में
जिस बात में उनका कोई गुणगान नहीं है
जिस राह में क़दमों के निशां छोड़ चुके हम
वो राह अँधेरों में भी सुनसान नहीं है
उसको भी मेरी फिक्र रहा करती है हरदम
लगता है मेरे ग़म से वो अंजान नहीं है