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इस पार अधूरा आधा सब / सतपाल 'ख़याल'
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इस पार अधूरा आधा सब
उस पार भी है अनजाना सब
किस ठौर सकून मिलेगा अब
सब रिश्ते झूठ छलावा सब
तू ही तू है ता हद्दे-नज़र
ये परबत सागर सहरा सब
यारो इन्सान ही झूटा है
हैं सच्चे मंदिर काबा सब