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इस पार मुनासिब है उस पार मुनासिब है / कैलाश झा 'किंकर'

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इस पार मुनासिब है उस पार मुनासिब है
संसार में जीने का अधिकार मुनासिब है।

हर बात बुरी लगती मेरी ही तुम्हें क्योंकर
यह देश मेरा-तेरा तो प्यार मुनासिब है।

अफ़वाह भला कब तक रहती है टिकी यारो
पड़ताल मुनासिब है अख़बार मुनासिब है।

डरने की कहाँ बातें इस देश के बासी हम
घुसपैठ कहीं भी क्या ऐ यार मुनासिब है।

जो लोग भरा करते है कान तुम्हारे यूँ
बेवाक हो के कर लो इन्कार मुनासिब है।

रहता न सदा राजा रहती न सदा रानी
धरती पर मुहब्बत की दरकार मुनासिब है।

महफ़ूज़ रहे सरहद महफ़ूज़ रहे सीमा
हर देश के लिए यह उपचार मुनासिब है।

गद्दार किसी का भी होता न कभी प्यारा
बेड़ी में जकड़ना भी इसबार मुनासिब है।