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इस पार / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
इस पार
तुम्हारी राह जोहती हूं मैं
हमेशा की तरह
पुकारते रहो भले उस पार
पाओगे इस पार ही मुझे
चाहतीहूं
जब तुम पहूंचो इस पार
अपनी कल्पना से अधिक
पाओ सब कुछ
सार्थक हो जाये
तुम्हारा
सदी - सदी का इन्तज़ार
फि़लहाल
तुम्हारी राह जोहती हूं मैं
इस पार