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इस बहरे वक़्त में / महेश चंद्र पुनेठा

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खेलते हुए अन्य बच्चों के साथ
अपने साथ हो रहे खेड़ी का
विरोध कर रहा है मेरा बेटा
चिल्ला-चिल्लाकर
काफ़ी कर्कश
लग रही है आवाज़ उसकी

बार-बार जाने को होता हूँ तैयार
कि रोकूँ उसे
इस तरह चिल्लाने से

प्यार से भी तो
रखी जा सकती है अपनी बात
पर कुछ सोचकर
ठिठक जाते हैं क़दम
इस बहरे वक़्त में

लगता है ज़रूरी
पूर्वाभ्यास की तरह
उसका चिल्लाना ।