इस बार
नहीं आई बाढ़
पुराना रपटा
वही जिसे
छोटा रपटा भी कहते हैं
नहीं डूबा
और सुबह-शाम
नर्मदा तीर
रपटाघाट पर
एकत्र होते लोग
खबर है आज
डिण्डौरी<ref>डिण्डौरी = म.प्र. का एक आदिवासी-बहुल जिला।</ref> में
पानी गिरा
छोटा रपटा तो
डूब ही जाएगा
बैहर<ref>जिला बालाघाट, म.प्र. की एक तहसील।</ref> तरफ भी गिरा है
बंजर भी चढ़ आएगी
कैसे नहीं डूबेगा
छोटा रपटा
लोगों के पास
इसके अलावा
बात ही नहीं है कोई
आखिर छोटा रपटा
डूबना ही चाहिए
फिर भी बाढ़ नहीं आई
नहीं डूबा छोटा रपटा
काश जुलाई में
बाढ़ आई होती तो
नहीं पूछता
सूबे का नाजिम प्रतिदिन
नर्मदा में बाढ़ आई क्या?
पुराना पुल डूबा क्या?
हाँ, उसे केवल
चिन्ता रही होगी
बरगी<ref>बरगी व पुनासा: नर्मदा पर बने बाँध।</ref>, पुनासा के भरने की
बिजली की
इसके आगे
हमारी चिन्ता कौन करता?
जैसा वह चाह रहा था
यदि होता उसके हाथ
तो बाढ़ आ ही जाती
पुराना रपटा डूबता
पानी भर आता
खाई के साथ ही
मेरी बस्ती में भी
घर होने के बावजूद
हम बेघर हो जाते
सड़क पार के स्कूल में
डेरा लगता
नेता आते,
अफसर आते
पटवारी
गिरदावर आते
फोटो खिंचती
राहत के प्रकरण बनते
पकी-कच्ची पूड़ी बँटती
पंचनामे बनते
हम दस्तखत करते
ऐसे ही सही हमारा भी
समय होता
थोड़ी पूछ-परख होती
पर इस बार
सचमुच बाढ़ नहीं आई
बरसात चली गई
बरगी भी नहीं भर पाया
फिर भी उसका अथाह जल
कम नहीं था
थोड़े समय के लिए ही सही
पसर गया वादियों में
फिर खेतों में जा
व्यापता हुआ
बीजों के संग
अंकुराता
लहलहाती फसलों के
पकते-पकते
सिकुड़ाते
गहराई में उतराते
खाई में समा गया
असमय ही खाली हो गया
बरगी बाँध!
हाँ,
इस बार बाढ़ नहीं आई।