इस भयानक दौर में जीना बड़ा मुश्किल
ज़हर होती जिं़दगी, पीना बड़ा मुश्किल
चीथड़े सिलती रही भरती रही टांके
लीर लीर इस उम्र को सीना बड़ा मुश्किल
चाहतें कुर्बान कर दीं फर्ज़ के सदके
सब्र का अब घूँट भी पीना बड़ा मुश्किल
कौन कहता हमको जीना ही नहीं आया
रोज़ मर-मर के मगर जीना बड़ा मुश्किल
है इधर चीखें, उधर हम चुप रहें कैसे?
खौफ़ ज़द उर्मिल का मुंह सीना बड़ा मुश्किल।