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इस लंबी-चौड़ी, गहरी, अँधी / इवान बूनिन
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इस लम्बी-चौड़ी, गहरी,
अँधी स्तेपी में
रात उदास है टीस-भरी,
जैसे मेरे हृदय-सपन
दीप झिलमिला रहा अकेला
झिलमिल-झिलमिल
कसक बहुत है दिल में
जले है प्रेम-अगन
किसे बताऊँ किसे दिखाऊँ
पीड़ा यह अपनी
वह तड़प बसी जो
मन में बेहद गहरी
रात उदास है, खोई-खोई--सी
मन में है कँपनी
डगर है लम्बी
निःशब्द स्तेपी लगे है बहरी
(1900)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय