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इस शहर को तो पीने पिलाने का शौक है / मनोज अहसास

इस शहर को तो पीने पिलाने का शौक है
हमको तो सिर्फ होंठ जलाने का शौक है

जिनकी नजर के साए में ढलती है मेरी शाम
उनको भी मुझसे रूठ के जाने का शौक है

उस आदमी से पूछिए जीने का फ़लसफ़ा
जिसको सुलगते दर्द में गाने का शौक है

मेरी ग़ज़ल को पढ़कर वह कहते हैं बार-बार
उसको तो यूं ही बात बढ़ाने का शौक है

 जब आ गए हो सामने कर लो सलाम ही
 लेकिन तुम्हें तो नजरें चुराने का शौक है

सरकार है सनम की जो चाहे सो करें
लोगों को यूंही शोर मचाने का शौक है

अब आ गई है जिंदगी ऐसे मुकाम पर
हम को धुएं में खुद को उड़ाने का शौक है