इस समय उत्कंठित और विचारमग्न अकेले बैठे हुए
मुझे ऐसा लगता है कि दूसरे लोग भी दूसरे देशो में
इसी प्रकार उत्कंठित और विचारमग्न हैं,
मुझे ऐसा लगता है कि मैं ध्यान देने पर जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन में
या दूर, अतिदूर चीन या रूस या जापान में उनको दूसरी भाषाएँ बोलते हुए देख सकता हूँ
और मुझे ऐसा लगता है कि यदि मैं उन लोगों को
जान पाता तो उनके साथ मेरी वैसी ही संलग्नता
हो जाती, जैसी मेरी अपने देश के लोगों से होती है,
ओह !मैं जानता हूँ कि हमको बंधु और प्रेमी हो जाना चाहिए,
मैं जानता हूँ, मुझको उनके साथ प्रसन्न होना चाहिए
अंग्रेज़ी से अनुवाद : डॉ० दिनेश्वर प्रसाद