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इहि तनु ऐसा जैसे घास की टाटी / रैदास
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।। राग सूही।।
इहि तनु ऐसा जैसे घास की टाटी।
जलि गइओ घासु रलि गइओ माटी।। टेक।।
ऊँचे मंदर साल रसोई। एक घरी फुनी रहनु न होई।।१।।
भाई बंध कुटंब सहेरा। ओइ भी लागे काढु सवेरा।।२।।
घर की नारि उरहि तन लागी। उह तउ भूतु करि भागी।।३।।
कहि रविदास सभै जग लूटिआ। हम तउ एक राम कहि छूटिआ।।४।।