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ईद / शर्मिष्ठा पाण्डेय
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के मैं शब बनूँ, तेरी दीद हो
उम्मीद से के, कल ईद हो
बेफैज़ हिज्र, शिकस्त हो
शब-ए-वस्ल हो के, कल ईद हो
मारूफ़ खूब,तारीख हो
आमद तेरी के, कल ईद हो
फ़सुर्दगी है,गिरफ़्ता दिल
तू ज़माल हो,के, कल ईद हो
गमख्वार है,नीयत शपा
बरकत बढ़ी के, कल ईद हो
के,उफक के रंग,उरूज़ पर
रुए-सुखन हो के, कल ईद हो
के,कफ़न चढ़ी हैं,हथेलियाँ
रंगे-हिना हो के, कल ईद हो
इत्तेफाकन ना-आशना छत
जन्नत सी हो के, कल ईद हो