ईमाँ को एक बार भी जुम्बिश नहीं हुई
सौ बार कूफ़ियों के कदम डगमगा गए
हम इस ज़मीन को लाये हैं आसमानों से
और इन्तिख़ाब किया है कई जहानो से
यही जबाब मिला अब वतन ही सब कुछ है
बहुत सवाल किये हमने नुक्तादानों से
ख़ुदा से उसका करम मांगते हैं हम 'शहजाद'
चलें तो आगे निकल जाएँ कारवानो से