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ईमानदारी / सुधा चौरसिया

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इतना ईमानदार मत बनो
समय की नजाकत पहचानो
देखो तुम्हारी संतान
तुम्हारा गला टीपने को तैयार बैठी है

आश्चर्य है!
तुमने उन्हें पैदा करने से पहले
सोचा नहीं, कि जमाना बदल गया है
तुम उनसे ईमानदारी, मेहनत
और नैतिकता की बात नहीं कर सकते

उन्हें चाहिए
तुम्हारी भरी हुई जेब
तुम्हारी ईमानदारी
तुम्हारी लाचारी नहीं
तुम कटघरे में हो
उन्हें पैदा करने की एवज में
अब सारी जिंदगी तुम्हें
सम्मान की भीख माँगनी पड़ेगी
पर वे तुम्हें छोड़ेंगे नहीं

इसलिए सचेत हो जाओ
अपनी रक्षा के लिए
अपने खिलफ़ हो जाने के सिवा
दूसरा रास्ता बनता ही नहीं...