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ईर्ष्या-2 / तेजी ग्रोवर
Kavita Kosh से
वह सरसों के फूल जैसी है
मेरे सपने में एक औरत के बारे में तुमने कहा
मैंने देख ली थी स्वप्न में
अचानक एक पर्दा हटाकर तुम्हारी मोहक मुस्कान
उसकी ओर मैंने ही सही थी स्वप्न में
वहीं से तुम मेरे पास आए हो
अभी तक मुझसे कह रहे हो-
ये तुम्हारे स्वप्न हैं
मुझे क्षमा करो
ये तुम्हारे स्वप्न हैं