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ईर्ष्या का रंग गाढ़ा है / गिरधर राठी

परत-दर-परत खरोंचो इसे--

यह मैं कहता हूँ अपने-आप से


और तुम से कहता हूँ--

आज यह हरा है

कल इस से उठेगी हरांध

रीढ़ पर जमेंगे थक्के


तब मुझे तुम्हारा गुलाबीपन

रास नहीं आएगा

अभी कहे देता हूँ

तुम से

और ख़ुद से