भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ईश्वर का जन्म / विनोद शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिस क्षण जागा
मुझमें
तुझमें
हम सब में-
यह अहसास
कि हम मनुष्य हैं:
निरंतर घूमते हुए समय के पहिए
की गति के नियमों से संचालित
परिवर्तनशील सृष्टि के नश्वर प्राणी

हम नहीं
सर्वव्यापी
सर्वज्ञ
और सर्वशक्तिमान,
कोई और है

उसी क्षण
ईश्वर का जन्म हुआ।