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ईश्वर की मृत्यु / अनिल गंगल

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‘ईश्वर मर चुका है‘
अट्ठारहवीं सदी में कभी कहा था तुमने
ओ नीत्शे !

कैसे मरा ?
कब मरा ?
किस न्यूज़ चैनल पर चस्पाँ हुई यह ब्रेकिंग न्यूज़
कौन से पत्रकार ने बयान की
रोमांच में बदलते हुए मृत्यु की यह ख़बर
किस देश के कौन से शहर की
किस बस्ती के कौन से पुलिस स्टेशन में दर्ज है
ईश्वर की मृत्यु की प्राथमिकी

हत्या की गई
या आत्महत्या की उसने ?

कौन से अख़बार में छपी है उसकी पोस्टमार्टम रपट
क्या देखी किसी शख़्स ने
झाड़ियों के पीछे रहस्यमय हालत में पड़ी
ख़ून से लथपथ ईश्वर की लाश

उसकी मृत्यु से सम्बन्धित
अभी तक कोई सबूत मिला क्या ?
किसी संदिग्ध पर टेढ़ी हुई क्या पुलिस की आँखें ?
ईश्वर के आसपास बिखरे ख़ून के नमूनों की जाँच में
क्या पाया गया ?

क्या हाथ लग सका अभी तक कोई ऐसा हथियार
जिससे पहुँचाया गया हो ईश्वर को यमराज के द्वार ?
खोजी दस्तों के शिकारी कुत्तों की नाक
क्या पा सकी शातिर अपराधी का कोई सूराग ?

हो सकता है
कि यह ख़बर सिरे से ही ग़लत हो
हो सकता है कि ख़ुद को धुन्ध के परदे में छिपाए रखने के लिए
फैलाई गई हो ख़ुद ईश्वर के द्वारा ही
अपनी मौत की ख़बर

कुछ भी हो सकता है
कि ईश्वर मरा हो ख़ुद अपनी ही स्वाभाविक मौत
मगर ज़्यादा सम्भावना यही है
कि उसकी हत्या की गई हो

किन्तु असल सवाल यह है
कि जो अजन्मा, अमर और अविनाशी है
उसे मारने में प्रयुक्त हथियार में काम आया लोहा
गलाया गया होगा दुनिया की किस धमनभट्टी में.