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ईश्वर की लाठी / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
तोहमत लगाना
विचार फेंकना
उपदेश पेलना
क़ायदा क़ानून
हजम करने वाली
आज की पीढ़ी का नारा है
और नयी पीढ़ी भी
कोई जुदा नहीं है वह भी
क़ानून तोड़ती है
और वह सब कुछ
करती है जो
असंवैधानिक है
अनैतिक है, क्रूर है
लेकिन चल रहा है
चोर-चोर मौसेरे भाई
जिसकी लाठी उसकी भैंस
- देर है अंधेर नहीं
उसकी लाठी में आवाज़
नहीं होती
अस्सी बरस के बूढे़ ने
हुक्का गुड़गुड़ाते हुए कहा ।