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ईश्वर के पक्ष में / चेस्लाव मिलोश / श्रीविलास सिंह
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नहीं इससे नहीं चलेगा काम, प्रिय धर्मशास्त्रियों,
आकांक्षा से न हो सकेगी रक्षा ईश्वर की नैतिकता की।
यदि उसने सृजित किये प्राणी जो कर सकते हैं चुनाव अच्छाई और बुराई में,
और उन्होंने चुना और यह संसार डूबा है असमानता में,
तथापि, यहाँ है पीड़ा और जीवों की नाहक यातनायें,
जिसकी व्याख्या की जा सकती है बस मान कर
अस्तित्व एक आदिरूपीय स्वर्ग का
और मनुष्य-पूर्व का इतना गंभीर पतन
कि इस भौतिक दुनिया ने ग्रहण किया यह आकार एक पैशाचिक शक्ति से।