ईश्वर अब डरने लगा है
मां पापा तुमसे 
तुमने कोख में मेरे 
गाजर मूली की तरह 
टुकड़े टुकड़े करवाकर 
निज़ात पा ली थी मुझसे
सुना है इस संसार में 
ईश्वर की मर्जी के बिना 
पत्ता भी नहीं हिलता 
अब हर जगह थोड़ी चलता है 
जोर ईश्वर का 
चलता तो क्या दहेज के लिए 
जला दी जाती लड़कियाँ? 
क्या पल भर की हवस मिटाने को 
रौंद दी जाती लड़कियाँ? 
क्या विधवा होने की दोषी 
करार दी जाती लड़कियाँ? 
और क्या धर्म का
व्यापार करते आश्रमों में 
ढकेल दी जाती लड़कियाँ? 
जहाँ धर्मगुरु चेले चपाड़ों के लिए 
चटाई के संग 
खुद भी बिछ जाती लड़कियाँ! 
ईश्वर डरने लगा है 
इस संसार में धर्म के नाम पर 
दिखावे को देखकर!