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ईश्वर में हैं नहीं कभी भी जन्म-मृत्यु / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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ईश्वर में हैं नहीं कभी भी जन्म-मृत्यु, उत्पत्ति-विनाश।
है विचित्र यह जग सारा ही प्रभु का लीलारूप विलास॥
जगके द्वन्द्व सर्वथा हैं सब प्रभुकी लीलाका विस्तार।
प्रभु से ही उत्पन्न सभी हैं, प्रभु ही हैं सबके आधार॥
विविध रसमयी लीला से है लीलामय का नित्य अभेद।
देख-देख उनका लीला-नैपुण्य हँसो, मत मानो खेद॥
प्रति लीला में लीलामय को लो तुरंत ही तुम पहचान।
‘कभी न यह पहचान मिटे’-तुम माँगो यह प्रभु से वरदान॥