ईश्वर से प्रश्न / निज़ार क़ब्बानी
हे ईश्वर :
जब हम प्यार करते हैं हम पर क्या विजय पा लेता है ?
हमारे भीतर गहरे कहीं क्या होने लगता है ?
हमारे अन्दर क्या टूट जाता है?
ऐसा कैसे होता है कि जब हम प्यार करते हैं
लौट जाते हैं एक बार फिर बचपन में ?
ऐसा कैसे होता है कि पानी की एक बूँद
बन जाती है सागर
ताड़ के पेड़ और ऊँचे हो जाते हैं
समुद्र का पानी और मीठा
सूरज एक क़ीमती हीरों-जड़ा कंगन कैसे बन जाता है
जब हम प्यार करते हैं ?
हे ईश्वर :
जब अचानक प्यार घटित होता है
वह क्या है जो हम अपने में से जाने देते हैं ?
वह क्या है जो हम में पैदा हो जाता है ?
क्यों हम नन्हे स्कूली बच्चों-से
सरल और मासूम हो जाते हैं ?
और ऐसा क्यों होता है
कि जब हमारी प्रियतमा हँसती है
दुनिया करती है हम पर मोगरे की बारिश
ऐसा क्यों होता है
कि जब वह हमारे काँधे पर सर रख कर रोती है
दुनिया एक दुःख भरा पंछी बन जाती है ?
हे ईश्वर :
उसे क्या कहते हैं, उस प्यार को
जिसने सदियों से आदमियों को मार डाला है,
किलों को जीता है
शक्तिशाली को नीचा दिखाया है
निरीह और सीधे-सादे लोगों को पिघलाया है ?
ऐसा कैसे होता है कि हमारी प्रेमिका के बाल
सोने का बिछौना बन जाते हैं
और उसके होंठ मदिरा और अंगूर ?
ऐसा कैसे है कि हम आग में से गुज़रते हैं
और आँच का आनन्द उठाते हैं ?
हम बन्दी कैसे बन जाते हैं जबकि हमने प्यार
विजयी राजा होने के बाद किया होता है ?
उस प्यार को हम क्या कहते हैं
जो चाक़ू की तरह हमारे अन्दर घुस जाता है ?
क्या वह एक सरदर्द है ?
क्या वह पागलपन है ?
ऐसा कैसे होता है कि बस एक ही पल में
दुनिया एक हरी-भरी वादी...
एक मधुर-सी जगह बन जाती है
जब हम प्यार करते हैं ?
हे ईश्वर :
हमारी बुद्धि को क्या हो जाता है ?
हमें क्या हो जाता है ?
ललक का एक पल बरसों लम्बा कैसे हो जाता है
और माया प्यार में यथार्थ कैसे बन जाती है ?
कैसे साल के सप्ताह एक-दूसरे से जुड़े नहीं रह पाते ?
ऐसा कैसे होता है कि प्यार मौसमों के भेद मिटा देता है ?
तो सर्दियों में गर्मियाँ हो जाती हैं
और जब हम प्यार करते हैं
आकाश के बागीचों में गुलाब खिलने लगते हैं ?
हे ईश्वर :
हम प्यार के सामने समर्पण कैसे करें,
कैसे सौंप दे उसको अपने अन्तर्मन की चाबी
उसके सामने दिए जलाएँ, सुगन्ध ले जाएँ
ऐसा कैसे होता है कि क्षमा माँगते हुए,
हम उसके पैरों में गिर जाते हैं
ऐसा कैसे होता है कि
हम चाहते हैं उसकी रियासत में दाख़िल होना
वह हमें जो भी करे
वह जो भी करे उसके आगे समर्पित होना ।
हे ईश्वर :
अगर तुम सच्चे ईश्वर हो
तो हमें हमेशा प्रेमी रहने देना ।