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ईश्वर हँसता है / बाजार में स्त्री / वीरेंद्र गोयल

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बच्चे निकालेंगे जीभ,
दिखायेंगे ठेंगा
सभी कठिनाइयों को
सभी परेशानियों को
सभी दुष्चक्रों को
बच्चे कभी हार नहीं मानते
लड़ते रहते हैं बचपन से
बड़े होने के लिए
खेल-खेल में
मृत्यु की सभी संभावनाओं को
दिखाते हैं जीभ,
दिखाते हैं ठेंगा
अगर तुम्हें शरम आये
अपने दुष्ट कृत्यों पर
तो डूब मरना,
कर लेना खुदकुशी
क्योंकि बचपन अगर रोता है
तो मुस्कुराना भी जानता है
और ईश्वर की मुस्कुराहट
कोई नहीं छीन सकता।