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ईश के चरणों में जिसका ध्यान है / रंजना वर्मा

ईश के चरणों मैं जिसका ध्यान है ।
इस जगत में उसी का कल्याण है।।

कर्म की भाषा समझने जो लगे
धर्म- ग्रंथों का उसे ही ज्ञान है।।

नित्य पर हित में लगा दे जिंदगी
जो दया से हीन कब इंसान है।।

मौत जाने मोड़ पर किस हो खड़ी
आदमी दिन चार का मेहमान है।।

दीप जल कर है लुटाता रौशनी
सद्गुणी की यही तो पहचान है।।

शूल से हरदम घिरा रहता मगर
पुष्प मुख खिलती सदा मुस्कान है।।

शख्स जो दरिया किनारे है खड़ा
सोचता क्यों आ रहा तूफ़ान है।।