भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ईसुरी की फाग-6 / बुन्देली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जुवना दए राम ने तोरें

सब कोऊ आवत दौरें

आएँ नहीं खांड़ के घुल्ला, पिएँ लेत ना घोरें

का भऔ जात हाथ के फेरें, लए लेत ना टोरें

पंछी पिए घटी नहीं जातीं, ईसुर समुद हिलौरें


भावार्थ


राम ने तुझे यौवन दिया है, सब लोग तेरे दरवाज़े पर दौड़-दौड़ कर आते हैं यानि तेरे घर के चक्कर लगाते हैं । पर ये

स्तन तेरे कोई खांड के खिलौने तो हैं नहीं जिन्हें हम घोल कर पी जाएंगे । इन पर हाथ फेर लेने दो, तुम्हारा क्या

बिगड़ जाएगा ? हम इन्हें तोड़ तो नहीं लेंगे । ईसुरी कहते हैं कि पंछियों के पीने से समुद्र की लहरें घट नहीं जातीं ।