ईस्टर 1916 / सरिता शर्मा / विलियम बटलर येट्स
मैं उन्हें दिन ढले मिला हूँ
वे अठारहवीं सदी के धूसर घरों से
काउण्टर या डेस्क से
चपल चेहरे बनाए आते हैं।
मैं सिर हिला कर
या अर्थहीन विनम्र बातें करता हुआ वहाँ से गुज़रा हूँ,
या मैंने थोड़ी देर रुक कर
विनम्र अर्थहीन शब्द कहे हैं,
और पहले की किसी मज़ाकिया कहानी
या उपहास के बारे में सोचा
जिसे क्लब में आग सेंकते हुए
किसी साथी को ख़ुश करने के लिए सुनाया था,
यह यक़ीन होने पर कि वे और मैं
वहाँ रहते थे जहाँ सब मसखरे थे:
सब कुछ बदल गया है, पूरी तरह से:
भयानक सौंदर्य जन्म ले चुका है
जो महिला अपने दिन
अबोध सद्भाव में
और रातें बहस में बिताती थी
जब तक कि उसकी आवाज़ कर्कश नहीं हो गई।
जब, वह युवा और सुन्दर थी,
उसकी आवाज़ सबसे ज़्यादा मीठी थी
वह खरगोश के शिकार के लिए घुड़सवारी करती थी?
इस आदमी ने स्कूल खोल रखा था
और हमारे सबसे तेज़ घोड़े की सवारी करता था;
और दूसरा आदमी उसका सहायक और दोस्त
प्रभावशाली बन रहा था;
उसे अन्त में प्रसिद्धि मिल सकती थी
वह कितना सम्वेदनशील था,
उसके विचार कितने साहसी और मधुर थे।
और वह एक और आदमी जिसे मैं
शराबी, घमण्डी गँवार समझता था।
उसने बहुत ग़लत व्यवहार किया था
उनके साथ जो मेरे दिल के क़रीब हैं,
फिर भी मैं गीत में उसे याद करता हूँ;
उसने भी, मज़ाकिया प्रहसन में
अपने हिस्से की भूमिका निभाई है;
वह भी, बदल गया है, पूरी तरह से:
भयानक सौन्दर्य जन्म ले चुका है।
उनके दिल में बस एक उद्देश्य था
गर्मियों और सर्दियों के बदलते मौसम में
वे मौत को चनौती देते हुए
चट्टान जैसे दृढ़ लगते हैं ।
जो घोड़ा सड़क से आता है।
घुड़सवार, पक्षी फैले हुए हैं
एक बादल से दूसरे लुढ़कते बादल तक,
वे पल-पल बदल जाते हैं;
बादल की छाया धारा पर है
पल-पल बदलती हुई;
एक घोड़े का खुर किनारे पर फिसल जाता है,
और एक घोड़ा इसमें छपछपाता है;
लम्बी टाँगों वाली दलदली मुर्गियाँ गोता लगाती हैं,
और मुर्गों को आवाज़ देती हैं;
वे क्षणजीवी हैं :
सबके बीच में दृढ़ लोग हैं।
बहुत लम्बे समय से बलिदान
दिल को पत्थर बना सकता है।
आह क्या यह काफ़ी हो सकता है?
वह स्वर्ग का हिस्सा है, हमारे हिस्से में
नाम पर नाम बुदबुदाना आया है,
जैसे माँ अपने बच्चे का नाम लेती है
जब अन्ततः नींद आ जाती है
उन चंचल शरीर को।
यह रात ही तो है?
नहीं, नहीं, रात नहीं बल्कि मौत;
आख़िरकार क्या यह अनावश्यक मौत थी?
क्योंकि इंग्लैंड विश्वास रख सकता है
जो कुछ किया और कहा गया है उन सबके लिए
हम उसके सपने को जानते हैं, यह जानना काफ़ी है
कि उन्होंने सपना देखा और मर गए हैं;
और क्या हुआ अगर वह प्यार की अधिकता से
वे मरते दम तक व्यग्र रहे?
मैं एक कविता में उन्हें याद करता हूँ —
मैकडोना और मैकब्राइड
और कोनोली और पीयर्स
अब और आने वाले समय में याद किए जाएँगे,
जहाँ कहीं भी आयरलैण्ड का प्रतीक हरा रंग पहना जावगा,
वे बदल गए हैं, पूरी तरह से:
एक भयानक सौन्दर्य जन्म ले चुका है
मूल अँग्रेज़ी से सरिता शर्मा द्वारा अनूदित
लीजिए अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
EASTER 1916
I HAVE met them at close of day
Coming with vivid faces
From counter or desk among grey
Eighteenth-century houses.
I have passed with a nod of the head
Or polite meaningless words,
Or have lingered awhile and said
Polite meaningless words,
And thought before I had done
Of a mocking tale or a gibe
To please a companion
Around the fire at the club,
Being certain that they and I
But lived where motley is worn:
All changed, changed utterly:
A terrible beauty is born.
That woman’s days were spent
In ignorant good-will,
Her nights in argument
Until her voice grew shrill.
What voice more sweet than hers
When, young and beautiful,
She rode to harriers?
This man had kept a school
And rode our winged horse;
This other his helper and friend
Was coming into his force;
He might have won fame in the end,
So sensitive his nature seemed,
So daring and sweet his thought.
This other man I had dreamed
A drunken, vainglorious lout.
He had done most bitter wrong
To some who are near my heart,
Yet I number him in the song;
He, too, has resigned his part
In the casual comedy;
He, too, has been changed in his turn,
Transformed utterly:
A terrible beauty is born.
Hearts with one purpose alone
Through summer and winter seem
Enchanted to a stone
To trouble the living stream.
The horse that comes from the road.
The rider, the birds that range
From cloud to tumbling cloud,
Minute by minute they change;
A shadow of cloud on the stream
Changes minute by minute;
A horse-hoof slides on the brim,
And a horse plashes within it;
The long-legged moor-hens dive,
And hens to moor-cocks call;
Minute by minute they live :
The stone’s in the midst of all.
Too long a sacrifice
Can make a stone of the heart.
O when may it suffice?
That is Heaven’s part, our part
To murmur name upon name,
As a mother names her child
When sleep at last has come
On limbs that had run wild.
What is it but nightfall?
No, no, not night but death;
Was it needless death after all?
For England may keep faith
For all that is done and said.
We know their dream; enough
To know they dreamed and are dead;
And what if excess of love
Bewildered them till they died?
I write it out in a verse —
MacDonagh and MacBride
And Connolly and Pearse
Now and in time to be,
Wherever green is worn,
Are changed, changed utterly:
A terrible beauty is born.