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ई ओझरैलोॅ जिनगी हमरोॅ कतेॅ नाच नचैलोॅ छै / सियाराम प्रहरी
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ई ओझरैलोॅ जिनगी हमरोॅ कतेॅ नाच नचैलोॅ छै
फूल सभे त चुनि चुनि लेलकै काँटा सब बिखरैलोॅ छै
बुतरू रोटी लेॅ तरसै छै घरनी लाज बचावै लेॅ
कत्ते आस लगैलिये अब तक सब सपना मुरझैलोॅ छै
आँखी में छै लोर ठोर मरूवैलोॅ छै मुरझैलोॅ छै
केकरा पर अब आस लगैय्यै सभ्भे त उमतैलोॅ छै
छाती में छी टीस लेने हम थकलोॅ हारलोॅ बैठलोॅ छी
कौनी आसोॅ में अब तक ई आँखी नै पथरैलोॅ छै
एकरोॅ छाँह घनोॅ छै यहि सें हम्मे ऐंठा ऐलोॅ छी
नै जानिये अपनोॅ छाहुर ई कत्ते के डसवैलोॅ छै।