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ई के छेकै / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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ई के छेकै
कमलोॅ के डण्ठल मेॅ मोती गूँथी केॅ
गल्ला आरो बाँही सेॅ बांधलेॅ छै
रेशनी दुपट्टा छै देहोॅ पर
चन्दन के लेप दीखै
माथोॅ सेॅ गोड़ तांय।

मुँहॉे में पान केॅ दबैनेॅ
जेठोॅ के दुपहरिया मॅे
अटारी सेॅ उतरी केॅ
फूस के मड़ैया मेॅ बैठलोॅ
आकाश दिस देखै छै
मेघोॅ के ऊ टुकड़ा केॅ
जे अभी-अभी कन्नेॅ सेॅ आवी गेलोॅ छै।
सौंसे ठो मड़ैया
आरो साँसो इलाका पर
छाँव कॅे बरसैतेॅ।

मड़ैया मेॅ बैठलोॅ
देहोॅ सेॅ एकदम कृषकाय
ई के छैकै?