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ई मति कह / मोती बी.ए.

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जूझल बेकार बा
ई मति कह।

दुसमन के मूर्च्छा ना आइल
ऊ पीठि ना देखवलसि
त हमरे सीना पर लागल घाव
जी तोड़ मेहनति
अनेरिया हो गइल, ई मति कह
ई मति कह कि हालत पहिलवें लेखाँ बा

आसा अगर छलिया निकलि गइल
त भय का लबार ना हो सकेला
हो सकेला कि सामने लउकत धुन्ध में
ऊ लुकाइल होखे
तोहरे बिना भी-
तोहार साथी भगोड़न के
अबहिन के लखेदि रहल बाँड़ें सँ
ई सच बा कि-
किनारे से टकरा टकरा के
समुन्दर के लहरि
छितिर-बितिर हो रहल बाड़ी सँ
इको इंच जमीन पर
ओकर कबुजा ना भइल
बाकी आवते होई ओकरे पाछे महासागर
घहरात, लहरात, हरहरात
खाड़ी-खन्दक पार करत
गुम-सुम गुरु गम्भीर महासागर
आवते होई ओकरे पाछे
पूरुब में लाली धहले बा
खिरिकी से ऊषा झाँकति बा
सूरज धीरे धीरे ऊपर आसमान में
चढ़ि रहल बाँड़े
तनिक देर में/पच्छिम में सरेह के सरेह
रोशनी से नहा उठी
चमचका उठी चम चम
जगमगा उठी जग-मग

जूझल बेकार बा-
ई मति कह।
12.05.93