उजले साथी / भारतेन्दु मिश्र
अंध विद्यालय में
पढ़ते हैं बहुत सारे विद्यार्थी
सुनते हैं और बोलते हैं
गाते हैं सुख दुख के गीत
खेलते हैं तरह तरह के खेल
देखते हैं फिल्में कानों से
खेलते हैं नाटक
हम सब की तरह
लिखते हैं ब्रेल में
पढ़ते हैं ब्रेल भाषा की किताबें
रंगों का अनुभव न होने के बावजूद
चीन्ह लेते हैं छूकर
तितलियों को रंगों से
रंगों को ख़ुशबू से
भोजन को स्वाद से
व्यक्ति को शब्द और स्पर्श से
अदभुत है इनकी स्मरण शक्ति
जिसके सहारे ये तय करते हैं
अँधेरी जिंदगी के ऊँचे नीचे रास्ते
जो चढ़ना ही चाहते हैं
वो चढ़ते ही जाते हैं
हिमालय पर
बिना किसी छड़ी के
एक दूसरे का सहारा बनकर
चलते हैं ये
भीड़ भरी सड़कों पर
कुछ अलग तो है
इनकी अनमनी दुनिया
जिसमें रहते हैं ये खुशहाल
कभी जाओ इनके पास
तो संभलकर जाना
तुम्हारी नीयत ये समझ लेंगे
तुम इन्हें चाहे भूल जाओ
ये कभी नहीं भूलेंगे
तुम्हारे शब्द
तुम्हारे गीत
तुम्हारे कहकहे
तुम्हारा फोन नम्बर
और तुम्हारे द्वारा की गई उपेक्षा
इनसे दोस्ती करो
तो सच्चे मन से करना
ये बन सकते हैं
तुम्हारी अजीबोगरीब दुनिया के उजले साथी
ये भर सकते हैं
तुम्हारी बदसूरत ज़िन्दगी में
संगीत के हजारों रंग।