भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उजाड़ / प्रदीप जिलवाने

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उजाड़ का अपना आकर्षण होता है
बस इसे कोई देख नहीं पाता

क्योंकि
एक चिड़िया का होना भी
उजाड़ को उजाड़ नहीं रहने देता