उजाला (मूल कुमाउनी कविता)
उदंकार-
जैगड़ियोंक,
ग्यसौक-छिलुका्क रां्फनौक
ट्वालनौंक और
जूनौक जस
ज्ञानौक
जब तलक
न हुंन,
तब तलक-
लागूं अन्यारै उज्यावा्क न्यांत
क्वे-क्वे
आं्खन तांणि
हतपलास लगै
हात-खुटन
आं्ख ज्यड़नैकि
कोशिश करनीं,
फिर लै
को् कै सकूं-
खुट कच्यारा्क
खत्त में
नि जा्ल,
हि्य कैं
क्वे डर
न डराल कै।