उजास करने की ज़िम्मेदारी सियाहकारों को दी गई है / मधु 'मधुमन'
उजास करने की ज़िम्मेदारी सियाहकारों को दी गई है
निज़ामते-गुलसितां यहाँ अब सितम शिआरों को दी गई है
असीर रह कर भी फ़ोन के थ्रू वह रख सकें राबिता जहाँ से
ये छूट भी अब तो जेल में कुछ गुनाहगारों को दी गई है
लुटा के सब कुछ भी अपना उनको, नहीं है हक़ वह ज़ुबान खोलें
न जाने क्यूँ ये सज़ा हमेशा वफ़ा शिआरों को दी गई है
ये वह जहाँ है जहाँ चराग़ों पर ध्यान जाता नहीं किसी का
यहाँ तवज्जो शुरूअ से ही फ़क़त सितारों को दी गई है
लहू पसीना बहा के अपना किसान ने फ़स्ल उगाई लेकिन
कमाई उससे हुई जो वह सब ज़मीनदारों को दी गई है
किसी के ज़ख़्मों को छेड़ देते हैं ग़मगुसारी की आड़ में ये
जहाँ की जानिब से क्यूँ इजाज़त ये ग़मगुसारों को दी गई है
ख़िज़ाँ के हिस्से में ज़र्द पत्ते, उदास चेहरे, तबाह मंज़र
महकते फूलों से तर फ़ज़ा तो फ़क़त बहारों को दी गई है
बचा के रक्खें गुलों को हरदम हर इक बशर की बुरी नज़र से
ख़ुदा की जानिब से ये हिदायत चमन के ख़ारों को दी गई है
ये आग नफ़रत की ख़ुद तो भड़की नहीं है लोगों के ज़ेह्नो-दिल में
किसी की साज़िश के चलते ही ये हवा शरारों को दी गई है
गँवा के रातों की नींद ‘मधुमन‘ जो लोग करते हैं शेरगोई
सुख़न की ने’मत बस उनके जैसे ही बुर्दबारों को दी गई है