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उजियारे की कहानी / अमित कुमार अम्बष्ट 'आमिली'
Kavita Kosh से
जब मुश्किलों की आंधी
ज़ुल्मत की ज़िद पर अड़ जाए,
अंधेरा कोई जीवन का
हलक में अपने
सूरज ही निगल जाए,
कोशिश कि मेरे ज़ज्बे का दीपक
फिर भी उम्र भर जलता रहे
मेरी सांसों तलक
मेरी लौ के थरथराने की चर्चा
होती है तो होती रहे,
मुझसे हुए उजियारे की कहानी
मेरे बुझने के बाद
खुद ही लिख लेंगे लोग!