Last modified on 7 सितम्बर 2020, at 11:23

उट्ठा है क़दम जो, पीछे हटने का नहीं / रमेश तन्हा

 
उट्ठा है क़दम जो, पीछे हटने का नहीं
सर ज़ुल्म के आगे अब झुकने का नहीं
कुछ भी सह सकने की सकत इतनी है अब
जो ज़ख़्म ज़माना देगा, दुखने का नहीं।