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उठना होगा चलना होगा / अविनाश भारती
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उठना होगा चलना होगा,
तो ही पूरा सपना होगा।
दुश्मन तेरा तगड़ा रण में,
खुद से, खुद ही लड़ना होगा।
कुंदन जैसा बनना है तो,
ताप अनल का सहना होगा।
दस्तूर ग़ज़ल का कहता है,
सच को सच ही कहना होगा।
मिट्टी, धूल, पसीना हरदम,
मेहनतकश का गहना होगा।
सुन लो 'अविनाश' ज़माने में,
हर दिन जीना-मरना होगा।